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ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन की पहल से नांदेड के बाबुल गांव मे लेबर कामगारों की घरगुती वस्तु किट अवैध तरीखे से रखने का पर्दा फाश,72 घंटे के बाद भी कामगार उपायुक्त की ओर से पोलिस मे FIR क्यू नही ?

NANDED TODAY : दलालों के दबाव में महिला श्रम अधिकारी को पदमुक्त किया गया; बाबुलगाँव में सरकारी सामान और दस्तावेज़ ज़ब्त
नांदेड़ (प्रतिनिधि): महाराष्ट्र सरकार द्वारा निर्माण, तकनीकी और अन्य श्रमिकों के कल्याण के लिए कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। हालाँकि, नांदेड़ में यह दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई सामने आई है कि भ्रष्टाचार के कारण ये योजनाएँ वास्तविक श्रमिकों तक नहीं पहुँच पा रही हैं।

यहाँ तक कि ये योजनाएँ श्रमिक कल्याण बोर्ड और श्रम आयुक्त विभाग के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही हैं, नांदेड़ में उपायुक्त कार्यालय पर दलालों ने लगभग कब्ज़ा कर लिया है। इस कार्यालय की कार्यप्रणाली से जनता में गहरी नाराज़गी है और चर्चा है कि इसे बदनाम किया गया है।

यह चर्चा खुलेआम है कि कार्यालय में कार्यरत एक महिला श्रम अधिकारी को दलालों के दबाव में पदमुक्त कर दिया गया। यह भी पता चला है कि संबंधित दलालों ने इस कार्रवाई के बाद पटाखे फोड़कर जश्न मनाया। इसे राज्य की सबसे बड़ी और साहसिक कार्रवाई माना जा रहा है, और इस महिला अधिकारी द्वारा किए गए ईमानदार काम की हर जगह सराहना हो रही है।

इस अधिकारी के हटाए जाने के बाद, कार्यालय में भ्रष्टाचार फिर से चरम पर पहुँच गया है। ग्रामीणों ने बताया कि नांदेड़ ग्रामीण पुलिस स्टेशन से मात्र तीन किलोमीटर दूर बाबुलगाँव गाँव में यह भ्रष्टाचार खुलेआम चल रहा है।
इस जगह पर भारी मात्रा में सामग्री मिली, जिसमें श्रमिकों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के घरेलू सामान के 28 किट, पाँच-सात बक्से, कंप्यूटर और सरकारी दस्तावेज़ शामिल थे। इस जगह से 200 से ज़्यादा सरकारी प्रस्ताव और दस्तावेज़ ज़ब्त किए गए।

लोगों में इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति थी कि पुलिस स्टेशन के पास स्थित यह जगह बीट जमादार, गोपनीय शाखा या स्थानीय अपराध शाखा की नज़र में क्यों नहीं आई? इससे यह सवाल उठता है कि क्या यह सुनियोजित भ्रष्टाचार का अड्डा था।

एक निजी स्थान पर कीटों के भंडार का पर्दा फाश उस समय हुआ जब ह्यूमन राइट्स एंड पीस आर्गेनाईजेशन के राष्ट्रिय अध्यक्ष नईम खान सलीम खान को इसकी ख़ुफ़िया जानकारी मिली, जानकारी के आधार पर नईम खान अपने एक पत्रकार मित्र के साथ नांदेड़ बाबुल गांव पहुंचे जहाँ लेबर कामगारों की किट छुपा कर रखी गई थी !

नईम खान घटना स्थल पर मौजूद रहकर लेबर कामगार अधिकारी यास्मीन शेख को इस मामले की जानकारी दी, यास्मीन शेख ने नईम खान से कहा के वो घटना स्थल पर नही आसकी क्यू के उनके पास वहा जाने जैसा चार्ज अब नही रहा!
इसके तत्काल बाद नईम खान ने सिड़कों ग्रामीण पोलिस स्टेशन के पोलिस निरीक्षक उमाकांत चिंचोलकर को दी, पोलिस निरीक्षक उमाकांत चिंचोलकर ने मामले की गंभीरता से दखल लेकर तत्काल दो पोलिस कर्मी बाबुल गांव के लिए रवाना किये, इसी बिच नईम खान महिला कामगार अधिकारी यास्मीन शेख को कॉल कर कामगार उपायाकूत अधिकारी को घटना स्थल पर भेजने की बिनती की परंतु कामगार उपायाकूत कार्यालय से कोई भी अधिकारी बाबुल गाव आने तैयार नही इस तरह से समझा जारहा था!

यास्मीन शेख ने कामगार उपायुक्त कार्यालय से तीन कर्मचारी बाबुल गांव के लिए भेजे परंतु केवल 3 घंटे बाद ही तीनों कर्मचारियों को उपायुक्त कार्यालय से किसी अधिकारी ने कॉल कर उन्हें घटना स्थल से हटने का आदेश दिया, इसके तत्काल बाद ही उपायुक्त कार्यालय के तीन कर्मचारी घटना स्थल से चले गए !

दूसरी ओर 2 पोलिस कर्मचारी जो दोपहर 2 बजे से घटना स्थल पर डियूटी कर रहे थे उनके डियूटी का समय भी ख़तम हो रहा था! इसी बिच कामगार अधिकारी ने घटना स्थल पर पहुंचना और गरीब लेबर कामगारों की घरगुती किट के भाराष्ट्राचार को ख़त्म करने को लेकर लेबर कामगार महिला अधिकारी यास्मीन शेख ने हिम्मत जुटाते हुए वो कामगार उपायुक्त कार्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर रात 7:15 ऑटो माध्यम से घटना स्थल पहुंची, प्रश्न ये है के एक महिला अधिकारी के लिए कामगार उपायकुक्त कार्यालय मे नांदेड के बाहर सरकारी काम से जाने के लिए वाहन भीउपलब्ध नही की गई !

लेबर कामगार अधिकारी यास्मीन शेख के घटना स्थल पर उपस्थित होते ही बाबुल गांव के रहिवासियों ने उनके डियूटी और ज़िम्मेदारी प्रमाणिकता की सहराना कर पोलिस, पत्रकार,गांव के पोलिस पाटिल, निर्भय महाराष्ट्र पार्टी के पदाधिकारियों के विशेष उपस्तिथि मे घर का लॉक तोडा गया, लॉक तोड़ने के तत्काल बाद जैसे ही घर के चारों दिशाओं मे नज़र पडी तो हर जगा लेबर कामगारों की घरगुती वस्तु वाली किट नज़र आरही थी, ये घर कम और अवैध कीटों का अड्डा ज़ियादा लग रहा था!

करीब 12 बजे पंचनमा एंव गाड़ी में सभी कीटों को ग्रामीण पोलिस स्टेशन को रवाना कर यास्मीन शेख ने ग्रामीण पोलिस स्टेशन के पोलिस निरीक्षक से मुलाखात कर रात 2 बजे के करीब वो अपने घर नांदेड शहर लौटी!

दूसरी ओर आज 72 घंटे बिट जाने के बाद भी नांदेड कामगार कार्यालय के किसी भी अधिकारी ने भाराष्ट्राचार के इस मामले खबर दारी नही ली! हर कोई इस मामले से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करता नज़र आरहा है जिस से इस बात का अनुमान लगाया जासकता है के कामगार उपायुक्त कार्यालय के कई अधिकारी इस मामले मे पूरी तरह शामिल होकर भाराष्ट्राचार करने मे अपनी भूमिका निभा रहे है जो के मानवी अधिकारों के उलंघना के ख़िलाफ़ है!

इस पुरे मामले को जनता और पोलिस के सामने उजागर करने मे अहम भूमिका निभाने मे ह्यूमन राइट्स के राष्ट्रिय अध्यक्ष नईम खान अहम योगदान माना जारहा है, और इस मामले की सभी जानकारी वीडियो फोटो पत्र के माध्यम से
ह्यूमन राइट्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा नांदेड़ टुडे पत्रकार संपादक नईम खान एक पत्र महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री समेत महाराष्ट्र के कई अधिकारों को भाराष्ट्राचार में शामिल होने वाले अधिकारीयों की जाँच के साथ साथ इनके निलंबन की भी मांग कर रहे