
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक करियर में साल 2014 कितना निर्णायक रहा है, ये सभी जानते हैं. इसी साल वो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे जाने वाले देश भारत के प्रधानमंत्री चुने गए.
लेकिन कम लोग ही जानते हैं कि साल 2014 ने न केवल उनके राजनीतिक सफ़र को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से उनकी दोस्ती की नींव भी रखी.
तब डोनाल्ड ट्रंप की पहचान एक रियल एस्टेट कारोबारी की थी. नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे दो महीने से कुछ दिन ही अधिक गुज़रे थे. इसी दौरान ट्रंप अपनी पहली भारत यात्रा पर मुंबई पहुंचे.
हालांकि ये शुद्ध रूप से एक बिज़नेस ट्रिप थी इसलिए तब उनकी मुलाक़ात पीएम मोदी से नहीं हुई, पर उन्होंने अपनी इस यात्रा के दौरान जो बातें भारत के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री के लिए कहीं वो ग़ौर करने वाली थीं.
‘मोदी ने दुनिया में भारत की छवि सुधारी’
उस वक्त डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था, ”मेरी उनसे मुलाक़ात नहीं हुई है, पर आपके प्रधानमंत्री ने लोगों को साथ लाकर बेहतरीन काम किया है. भारत की छवि बदल रही है. उम्मीद वापस लौट रही है. मैं भारत को निवेश के लिए एक कमाल की जगह मानता हूं और मुझे लगता है चुनाव के नतीजों ने इसे और बेहतर बना दिया है.”
फिर आया साल 2017. डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के नए राष्ट्रपति चुन लिए गए.
राष्ट्रपति कार्यालय संभालते ही उन्होंने जो पहला ट्वीट किया उसमें पाकिस्तान के लिए काफ़ी आक्रामक और कड़े शब्दों का प्रयोग किया गया.
उन्होंने पाकिस्तान पर आतंकवाद को शह देने का आरोप लगाया.
ट्रंप ने ट्वीट के ज़रिए बताया कि पिछले डेढ़ दशक में कैसे अमेरिका ने पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर की राशि देकर मदद की थी, लेकिन बदले में अमेरिका के साथ पाकिस्तान ने कितना बड़ा धोखा किया.
इसके बाद अमेरिका की तरफ़ से पाकिस्तान को मिलने वाली मदद में लगातार कटौती होती रही.
ये सारी ही चीज़ें भारत के हित में जा रही थीं, जो लंबे समय से पाकिस्तान पर ‘सीमा पार आतंकवाद’ फैलाने का आरोप लगाता रहा है.
2019 में ह्यूस्टन में आयोजित ‘हाउडी मोदी’ समारोह में भी ट्रंप और मोदी के बीच कमाल की केमिस्ट्री नज़र आई.
दोनों ने एक-दूसरे की तारीफ़ों के पुल बांधे. ये सिलसिला आगे भी चलता रहा.
मसलन 2020 में डोनाल्ड ट्रंप ने जब पहली बार बतौर राष्ट्रपति भारत की यात्रा की, तो उनके स्वागत में अहमदाबाद में ‘नमस्ते ट्रंप’ का कार्यक्रम हुआ.
तब ट्रंप ने मोदी को ‘सबसे अच्छा इंसान’ और अपना ‘दोस्त’ बताया था.
इस दोस्ती को कई विश्लेषकों ने भारत-अमेरिका रिश्ते के स्वर्णिम युग के तौर पर परिभाषित किया.
दोस्ती पर जब उठे सवाल
लेकिन ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में, जिसके अभी केवल पांच महीने ही गुज़रे हैं, कई ऐसी चीज़ें हुईं जिन्होंने दोनों ही नेताओं की दोस्ती पर सवालिया निशान लगाया.
मिसाल के तौर पर, ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री मोदी का शामिल न होना, भारत को बार-बार टैरिफ़ अब्यूज़र देश बताना, रेसिप्रोकल टैरिफ़ लगाना, रक्षा उपकरणों को ख़रीदने के लिए दबाव बनाना, भारत के कई प्रवासियों को अवैध बताकर वापस भेजना, एच-1 बी वीज़ा नियमों में बदलाव करना, पाकिस्तान के साथ संघर्ष में बहुत ही संतुलित और सधा हुआ रवैया अपनाना, उसकी कई मौक़ों पर सराहना करना और कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश करना.
ये कुछ ऐसे मौक़े थे, जब उनके रवैये ने भारत को असहज किया.
ख़ासकर पाकिस्तान के संदर्भ में ट्रंप के अप्रत्याशित रवैये ने सबसे ज़्यादा चौंकाया.
‘पाकिस्तान से प्यार’
दरअसल, साल 2018 में पाकिस्तान को ‘धोख़ेबाज़’ कहने वाले ट्रंप अब ‘पाकिस्तान से प्यार‘ करने की बात करने लगे.
भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बाद उन्होंने पाकिस्तान के आर्मी चीफ़ जनरल आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में एक प्राइवेट दावत के लिए बुलाया. इस दावत के बाद मीडिया से बातचीत में ट्रंप ने उनकी सराहना भी की.
ट्रंप ने कहा कि जनरल आसिम मुनीर ने पाकिस्तान-भारत जंग को रोकने में अहम भूमिका निभाई और उनसे मुलाक़ात करना उनके लिए सम्मान की बात है.
ऐसे में एक बार फिर दोनों ही नेताओं की दोस्ती को लेकर सवाल उठ रहे हैं और ये भी पूछा जा रहा है कि क्या इस मुलाक़ात का मोदी-ट्रंप रिश्ते पर कोई नकारात्मक असर पड़ेगा?
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क्या दोस्ती पर पड़ेगा असर?
डॉक्टर मनन द्विवेदी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में अंतरराष्ट्रीय संबंध और अमेरिकी विदेश नीति के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं.
उन्हें इस बात की संभावना नज़र आती है कि ट्रंप का अप्रत्याशित रवैया और अस्थिर कूटनीति दोनों ही नेताओं के (जिसका मतलब दोनों देशों से भी है) रिश्तों को प्रभावित करेगा.
वो कहते हैं, “आसिम मुनीर के साथ दावत करने वालों में ट्रंप अकेले नहीं थे. उनके साथ इस दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और मध्यपूर्व में अमेरिका के विशेष राजदूत स्टीव विटकॉफ़ भी मौजूद थे, जो दर्शाता है कि पाकिस्तान को एक तरह की अहमियत दी जा रही है.”
डॉक्टर मनन द्विवेदी कहते हैं “यह भारत के लिए बिल्कुल भी ठीक स्थिति नहीं है क्योंकि ट्रंप भारत और पाकिस्तान को एक ही स्तर पर रखकर देख रहे हैं.”
डॉक्टर मनन द्विवेदी का मानना है, “जैसी अच्छी कूटनीति और विदेश नीति ट्रंप की पीएम मोदी या भारत के साथ रही है, वो उससे भी अच्छी या उसके बराबर सकारात्मकता पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों में लाने की कोशिश कर रहे हैं. इससे भारत के विदेश मंत्रालय में नाराज़गी है.”
हालांकि जिस वक़्त आसिम मुनीर अमेरिका में थे, उसी वक़्त भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ़ से ये दावा किया गया कि ट्रंप ने पीएम मोदी से फ़ोन पर बातचीत की.
ये बातचीत जी-7 की बैठक ख़त्म होने के बाद हुई. दावे के मुताबिक़ ट्रंप ने मोदी को फ़ोन किया और लगभग 35 मिनट लंबी बातचीत की.
इस बातचीत में उन्होंने मोदी को अमेरिका आने का न्योता भी दिया लेकिन प्रधानमंत्री ने अपनी पूर्व निर्धारित व्यस्तताओं के कारण इसे स्वीकार नहीं किया.
हालांकि व्हाइट हाउस की तरफ़ से अब तक इस बातचीत से जुड़ी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है लेकिन पीएम मोदी ने भी ओडिशा में अपनी एक रैली के दौरान ट्रंप के निमंत्रण का ज़िक्र किया है.
जिससे लगता है कि दोनों ही नेताओं के बीच सब कुछ सामान्य है.

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